हिन्दी भाषा की शिक्षण विधियां अनुकरण विधि Hindi Bhasha ki shikshan vidhiyan Simulation method

हिन्दी भाषा की शिक्षण विधियां

परिभाषाएं

 प्लूटो के अनुसार- “ विचार आत्मा की मुखिया अध्वआत्मक बातचीत है पर वही जब ध्यानात्मक होकर फोटो पर प्रगट होती है तो इसे भाषा की संज्ञा देते हैं।”

” सब पढ़े सब बढ़े” नारा दिया गया – सर्व शिक्षा अभियान


महात्मा गांधी के अनुसार- ” हस्तलिपि का खराब होना अधूरी पढ़ाई की निशानी है।”

पतंजलि के अनुसार- ” भाषा वह व्यापार है जिसमें हम वर्णनात्मक या व्यक्त शब्द द्वारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं।”

कामता प्रसाद गुरु के अनुसार – ” भाषा व साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार दूसरों तक भली-भांति प्रगट कर सकता है।”


सीताराम चतुर्वेदी के अनुसार- ” भाषा केआविर्भावसे सारा संसार गूंगो की विराट बस्ती बनने से बच गया।”


सुमित्रानंदन पंत के अनुसार – “भाषा संसार का नादमय में चित्रण है।,”


” ध्वनि में स्वरूप है”,” ह्रदय तंत्र की झंकार है”


किटसन के अनुसार-” किसी भाषा को पढ़ने और लिखने की अपेक्षा बोलना सीखना सबसे छोटी पगडंडी को पार करना है।”


देवेंद्र शर्मा के अनुसार – ” भाषा की न्यूनतम पूर्ण सार्थक इकाई वाक्य ही है।”


महात्मा गांधी के अनुसार – ” सुलेख व्यक्ति की शिक्षा का एक आवश्यक पहलू है।”

चोमस्की के अनुसार – ” बच्चों में भाषा सीखने की जन्मजात योग्यता है।”

वाइगोस्की के अनुसार – ” बच्चे अपने सामाजिक- सांस्कृतिक परिवेश से अर्थ ग्रहण करते हैं।”

पियाजे के अनुसार – ” अहम केंद्रित भाषा की संकल्पना किसके साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ी है।”

बैलर्ड के अनुसार – ” पहला और अंतिम वाक्य कंठस्थ कर लेना चाहिए। पहले वाक्य से आत्मविश्वास आता है, और अंतिम से श्रोताओं पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।”

विश्वनाथ के अनुसार – ” रसात्मक वाक्य को कविता कहते हैं।”

स्वीट के अनुसार – 1. “ध्वन्यात्मक शब्द द्वारा विचारों का प्रगति करण भाषा है।”

2. ” व्याकरण भाषा का व्यवहारिक विश्लेषण है”

कलराज के अनुसार –” मातृभाषा मनुष्य के हृदय की धड़कन की भाषा है।”

इस पोस्ट में हिंदी की सभी शिक्षण विधियां जैसे- प्रत्यक्ष विधि,अनुकरण विधि, व्याख्यान विधि, इकाई विधि, आगमन एवं निगमन विधि, प्रोजेक्ट विधि,समस्या समाधान विधि, समवाय विधि, पाठ्यक्रम विधि के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है।

हिंदी भाषा शिक्षण की विधियां

(1) अनुकरण विधि (Simulation method)  

अनुकरण विधि का प्रयोग सामान्यतः भाषण एवं वाचन हेतु किया जाता है।

इसी के साथ साथ लेखन विकास हेतु भी यह विधि प्रयोग में ली जाती है कक्षा में जो भी शिक्षक पर आता है।

विद्यार्थि अपने शिक्षक का अनुकरण कर अपने भाषण के कौशल का विकास करती है इस प्रक्रिया द्वारा विद्यार्थी के व्याख्यान में स्पष्टता आती है।

इस विधि द्वारा एक बालक पढ़ना, लिखना, अच्छे से उच्चारण करना एवं नवीन रचनाएं करना सीखता है।

1. लिखित अनुकरण

(a) रूपरेखा लेखन: रूपरेखा लेखन में विद्यार्थी अक्षरों की आकृति बनाना सीखते हैं।


(b) स्वतंत्र लेखन: इसमें अध्यापक श्यामपट्ट पर पूरा शब्द लिखता है और विद्यार्थी अपने अध्यापक का अनुकरण करते हैं और स्वयं उसी प्रकार के अक्षर लिखते हैं यह मुख्य रूप से प्राथमिक स्तर हेतु उपयोग में लाई जाती है।

2. उच्चारण अनुकरण   

अध्यापक बोल बोल कर शब्दों का उच्चारण विद्यार्थियों को सिखाता है और बालक उच्चारण का अनुकरण कर उस शब्द को बोलना सीखते हैं।


3.रचना अनुकरण  

रचना अनुकरण द्वारा एक बालक भाषा शैली पर आधारित रचनाओं के बारे में लिखना सीखना है इसमें विद्यार्थियों को अभ्यास करने हेतु कोई कविता लेख लिखने हेतु दिया जाता है यह विधि केवल उच्च कक्षाओं हेतु उपयोगी है।

4. मारिया मांटेसरी विधि  

मारिया मांटेसरी इटली की एक चिकित्साक तथा शिक्षा शास्त्री थे। जिनके नाम से शिक्षा की मांटेसरी पद्धति प्रसिद्ध है।

यह पद्धति आज भी कई विद्यालयों में प्रचलित है यह ढाई वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों हेतु प्रयोग में ली जाने वाली पद्धति है।

इसका विकास डॉक्टर मारिया द्वारा रूस विश्वविद्यालय में मंदबुद्धि बालको की चिकित्सा हेतु उनकी शिक्षा हेतु किया गया जो कुछ समय पश्चात सामान्य बुद्धि के बालकों हेतु शिक्षा में उपयोग में लाई गई।

डॉक्टर मारिया का मानना था, कि शिक्षा का मूल उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास होना चाहिए इसमें पाठ्यक्रम को चार भागों में बांटा गया था।

अनुकरण विधि की कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार है

यह बाल केंद्रित शिक्षण विधि है, यह विधि करके सीखने पर बल देती है।

यह विधि मुख्य रूप से प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों हेतु उपयोगी है।

इस विधि का मुख्य उद्देश्य बालक को आत्मनिर्भर बना कर सही अर्थ में स्वतंत्र बनाना है।

इसमें बालक को की आवश्यकताओं के अनुसार इसका पाठ्यक्रम अधूरा है बालक के शारीरिक और मानसिक विकास हेतु भी उचित साधन नहीं है।

बुनियादी शिक्षा में अनुकरण विधि का उपयोग किया जाता है।

बालक को के उच्चारण हेतु यह बिधि उपयोगी है।

जैकटॉट विधि: अध्यापक द्वारा लिखे गए शब्दों का अनुकरण कर बालक शब्द लिखना एवं अभ्यास करना सीखता है यह विधि प्राथमिक स्तर पर उपयोगी है।

पेस्ट्रोलॉजी विधि : इस विधि में विद्यार्थी “अ” का निर्माण खंड खंड करके सीखते हैं ।

(2) प्रत्यक्ष विधि (Direct method)

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