वाक्य विचार की परिभाषा,प्रकार,उद्देश्य,विधेय Vakya Vichar - Hindi Vyakaran complete notes
वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय (Vakya Vichar-Hindi Vyakaran complete notes)
वाक्य विचार(Syntax) की परिभाषा
वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, 'वाक्य' कहलाता हैै।
दूसरे शब्दों में- विचार को पूर्णता से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को 'वाक्य' कहते हैं।
सरल शब्दों में- सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो, वाक्य कहलाता है।
जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही हैैै।
दूसरे शब्दों में- विचार को पूर्णता से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को 'वाक्य' कहते हैं।
सरल शब्दों में- सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो, वाक्य कहलाता है।
जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही हैैै।
वाक्य के भाग
वाक्य के दो भेद होते है-
(1)उद्देश्य (Subject)
(2)विद्येय (Predicate)
(1)उद्देश्य (Subject)
(2)विद्येय (Predicate)
(1)उद्देश्य (Subject):-वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाये उसे उद्देश्य कहते हैं।
सरल शब्दों में- जिसके बारे में कुछ बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है।
इस वाक्य में पूनम और सचिन के विषय में बताया गया है। अतः ये उद्देश्य है। इसके अंतर्गत कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है जैसे- 'परिश्रम करने वाला व्यक्ति' सदा सफल होता है। इस वाक्य में कर्ता (व्यक्ति) का विस्तार 'परिश्रम करने वाला' है।
सरल शब्दों में- जिसके बारे में कुछ बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है।
इस वाक्य में पूनम और सचिन के विषय में बताया गया है। अतः ये उद्देश्य है। इसके अंतर्गत कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है जैसे- 'परिश्रम करने वाला व्यक्ति' सदा सफल होता है। इस वाक्य में कर्ता (व्यक्ति) का विस्तार 'परिश्रम करने वाला' है।
उद्देश्य के भाग-
उद्देश्य के दो भाग होते है-
(i) कर्ता
(ii) कर्ता का विशेषण या कर्ता से संबंधित शब्द।
(i) कर्ता
(ii) कर्ता का विशेषण या कर्ता से संबंधित शब्द।
(2)विद्येय (Predicate):- उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विद्येय कहते है।
जैसे- पूनम किताब पढ़ती है।
इस वाक्य में 'किताब पढ़ती' है विधेय है क्योंकि पूनम (उद्देश्य )के विषय में कहा गया है।
जैसे- पूनम किताब पढ़ती है।
इस वाक्य में 'किताब पढ़ती' है विधेय है क्योंकि पूनम (उद्देश्य )के विषय में कहा गया है।
दूसरे शब्दों में- वाक्य के कर्ता (उद्देश्य) को अलग करने के बाद वाक्य में जो कुछ भी शेष रह जाता है, वह विधेय कहलाता है।
इसके अंतर्गत विधेय का विस्तार आता है। जैसे- लंबे-लंबे बालों वाली लड़की 'अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर गई' ।
इस वाक्य में विधेय (गई) का विस्तार 'अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर' है।
इसके अंतर्गत विधेय का विस्तार आता है। जैसे- लंबे-लंबे बालों वाली लड़की 'अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर गई' ।
इस वाक्य में विधेय (गई) का विस्तार 'अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुए उधर' है।
विशेष-आज्ञासूचक वाक्यों में विद्येय तो होता है किन्तु उद्देश्य छिपा होता है।
जैसे- वहाँ जाओ। खड़े हो जाओ।
इन दोनों वाक्यों में जिसके लिए आज्ञा दी गयी है वह उद्देश्य अर्थात 'वहाँ न जाने वाला '(तुम) और 'खड़े हो जाओ' (तुम या आप) अर्थात उद्देश्य दिखाई नही पड़ता वरन छिपा हुआ है।
जैसे- वहाँ जाओ। खड़े हो जाओ।
इन दोनों वाक्यों में जिसके लिए आज्ञा दी गयी है वह उद्देश्य अर्थात 'वहाँ न जाने वाला '(तुम) और 'खड़े हो जाओ' (तुम या आप) अर्थात उद्देश्य दिखाई नही पड़ता वरन छिपा हुआ है।
विधेय के भाग-
विधेय के छः भाग होते है-
(i) क्रिया
(ii) क्रिया के विशेषण
(iii) कर्म
(iv) कर्म के विशेषण या कर्म से संबंधित शब्द
(v) पूरक
(vi)पूरक के विशेषण।
(i) क्रिया
(ii) क्रिया के विशेषण
(iii) कर्म
(iv) कर्म के विशेषण या कर्म से संबंधित शब्द
(v) पूरक
(vi)पूरक के विशेषण।
नीचे की तालिका से उद्देश्य तथा विधेय सरलता से समझा जा सकता है-
| वाक्य | उद्देश्य | विधेय |
|---|---|---|
| गाय घास खाती है | गाय | घास खाती है। |
| सफेद गाय हरी घास खाती है। | सफेद गाय | हरी घास खाती है। |
सफेद -कर्ता विशेषण
गाय -कर्ता[उद्देश्य]
हरी - विशेषण कर्म
घास -कर्म [विधेय]
खाती है- क्रिया[विधेय]
गाय -कर्ता[उद्देश्य]
हरी - विशेषण कर्म
घास -कर्म [विधेय]
खाती है- क्रिया[विधेय]
वाक्य के भेद
वाक्य के भेद- रचना के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते है-
(i)साधरण वाक्य या सरल वाक्य (Simple Sentence)
(ii)मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)
(iii)संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)
(i)साधरण वाक्य या सरल वाक्य (Simple Sentence)
(ii)मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)
(iii)संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)
(i)साधरण वाक्य या सरल वाक्य:-जिन वाक्य में एक ही क्रिया होती है, और एक कर्ता होता है, वे साधारण वाक्य कहलाते है।
दूसरे शब्दों में- जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें साधारण वाक्य या सरल वाक्य कहते हैं।
इसमें एक 'उद्देश्य' और एक 'विधेय' रहते हैं। जैसे- 'बिजली चमकती है', 'पानी बरसा' ।
इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य, अर्थात कर्ता और विधेय, अर्थात क्रिया है। अतः, ये साधारण या सरल वाक्य हैं।
इन वाक्यों में एक-एक उद्देश्य, अर्थात कर्ता और विधेय, अर्थात क्रिया है। अतः, ये साधारण या सरल वाक्य हैं।
(ii)मिश्रित वाक्य:-जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।
सरल शब्दों में- जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे 'मिश्रित वाक्य' कहते हैं।
सरल शब्दों में- जिस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ हों, उसे 'मिश्रित वाक्य' कहते हैं।
जब दो ऐसे वाक्य मिलें जिनमें एक मुख्य उपवाक्य (Principal Clause) तथा एक गौण अथवा आश्रित उपवाक्य (Subordinate Clause) हो, तब मिश्र वाक्य बनता है। जैसे-
मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत जीतेगा।
सफल वही होता है जो परिश्रम करता है।
उपर्युक्त वाक्यों में 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि' तथा 'सफल वही होता है' मुख्य उपवाक्य हैं और 'भारत जीतेगा' तथा 'जो परिश्रम करता है' गौण उपवाक्य। इसलिए ये मिश्र वाक्य हैं।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत जीतेगा।
सफल वही होता है जो परिश्रम करता है।
उपर्युक्त वाक्यों में 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि' तथा 'सफल वही होता है' मुख्य उपवाक्य हैं और 'भारत जीतेगा' तथा 'जो परिश्रम करता है' गौण उपवाक्य। इसलिए ये मिश्र वाक्य हैं।
दूसरे शब्दों मेें- जिन वाक्यों में एक प्रधान (मुख्य) उपवाक्य हो और अन्य आश्रित (गौण) उपवाक्य हों तथा जो आपस में 'कि'; 'जो'; 'क्योंकि'; 'जितना'; 'उतना'; 'जैसा'; 'वैसा'; 'जब'; 'तब'; 'जहाँ'; 'वहाँ'; 'जिधर'; 'उधर'; 'अगर/यदि'; 'तो'; 'यद्यपि'; 'तथापि'; आदि से मिश्रित (मिले-जुले) हों उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं।
इनमे एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती है। जैसे- मैं जनता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते। जो लड़का कमरे में बैठा है वह मेरा भाई है। यदि परिश्रम करोगे तो उत्तीर्ण हो जाओगे।
'मिश्र वाक्य' के 'मुख्य उद्देश्य' और 'मुख्य विधेय' से जो वाक्य बनता है, उसे 'मुख्य उपवाक्य' और दूसरे वाक्यों को आश्रित उपवाक्य' कहते हैं। पहले को 'मुख्य वाक्य' और दूसरे को 'सहायक वाक्य' भी कहते हैं। सहायक वाक्य अपने में पूर्ण या सार्थक नहीं होते, पर मुख्य वाक्य के साथ आने पर उनका अर्थ निकलता हैं।
(iii)संयुक्त वाक्य :-जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।
दूसरे शब्दो में- जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजकों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है।
सरल शब्दों में- जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
दूसरे शब्दो में- जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सरल वाक्य योजकों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि) से जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते है।
सरल शब्दों में- जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
जैसे- वह सुबह गया और शाम को लौट आया। प्रिय बोलो पर असत्य नहीं। उसने बहुत परिश्रम किया किन्तु सफलता नहीं मिली।
संयुक्त वाक्य उस वाक्य-समूह को कहते हैं, जिसमें दो या दो से अधिक सरल वाक्य अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा संयुक्त हों। इस प्रकार के वाक्य लम्बे और आपस में उलझे होते हैं। जैसे- 'मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा कि तुरन्त डॉक्टर को बुलाना पड़ा।' इस लम्बे वाक्य में संयोजक 'और' है, जिसके द्वारा दो मिश्र वाक्यों को मिलाकर संयुक्त वाक्य बनाया गया।
इसी प्रकार 'मैं आया और वह गया' इस वाक्य में दो सरल वाक्यों को जोड़नेवाला संयोजक 'और' है। यहाँ यह याद रखने की बात है कि संयुक्त वाक्यों में प्रत्येक वाक्य अपनी स्वतन्त्र सत्ता बनाये रखता है, वह एक-दूसरे पर आश्रित नहीं होता, केवल संयोजक अव्यय उन स्वतन्त्र वाक्यों को मिलाते हैं। इन मुख्य और स्वतन्त्र वाक्यों को व्याकरण में 'समानाधिकरण' उपवाक्य भी कहते हैं।
वाक्य के भेद- अर्थ के आधार पर
अर्थ के आधार पर वाक्य मुख्य रूप से आठ प्रकार के होते है-
(i) सरल वाक्य (Affirmative Sentence)
(ii) निषेधात्मक वाक्य (Negative Semtence)
(iii) प्रश्नवाचक वाक्य (Interrogative Sentence)
(iv) आज्ञावाचक वाक्य (Imperative Sentence)
(v) संकेतवाचक वाक्य (Conditional Sentence)
(vi) विस्मयादिबोधक वाक्य (Exclamatory Sentence)
(vii) विधानवाचक वाक्य (Assertive Sentence)
(viii) इच्छावाचक वाक्य (IIIative Sentence)
(i) सरल वाक्य (Affirmative Sentence)
(ii) निषेधात्मक वाक्य (Negative Semtence)
(iii) प्रश्नवाचक वाक्य (Interrogative Sentence)
(iv) आज्ञावाचक वाक्य (Imperative Sentence)
(v) संकेतवाचक वाक्य (Conditional Sentence)
(vi) विस्मयादिबोधक वाक्य (Exclamatory Sentence)
(vii) विधानवाचक वाक्य (Assertive Sentence)
(viii) इच्छावाचक वाक्य (IIIative Sentence)
(i)सरल वाक्य :-वे वाक्य जिनमे कोई बात साधरण ढंग से कही जाती है, सरल वाक्य कहलाते है।
जैसे- राम ने बाली को मारा। राधा खाना बना रही है।
जैसे- राम ने बाली को मारा। राधा खाना बना रही है।
(ii)निषेधात्मक वाक्य:-जिन वाक्यों में किसी काम के न होने या न करने का बोध हो उन्हें निषेधात्मक वाक्य कहते है।
जैसे- आज वर्षा नही होगी। मैं आज घर जाऊॅंगा।
जैसे- आज वर्षा नही होगी। मैं आज घर जाऊॅंगा।
(iii)प्रश्नवाचक वाक्य:-वे वाक्य जिनमें प्रश्न पूछने का भाव प्रकट हो, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते है।
जैसे- राम ने रावण को क्यों मारा? तुम कहाँ रहते हो ?
जैसे- राम ने रावण को क्यों मारा? तुम कहाँ रहते हो ?
(iv) आज्ञावाचक वाक्य :-जिन वाक्यों से आज्ञा प्रार्थना, उपदेश आदि का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते है।
जैसे- वर्षा होने पर ही फसल होगी। परिश्रम करोगे तो फल मिलेगा ही। बड़ों का सम्मान करो।
जैसे- वर्षा होने पर ही फसल होगी। परिश्रम करोगे तो फल मिलेगा ही। बड़ों का सम्मान करो।
(v) संकेतवाचक वाक्य:- जिन वाक्यों से शर्त्त (संकेत) का बोध होता है यानी एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते है।
जैसे- यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे। पिताजी अभी आते तो अच्छा होता। अगर वर्षा होगी तो फसल भी होगी।
जैसे- यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे। पिताजी अभी आते तो अच्छा होता। अगर वर्षा होगी तो फसल भी होगी।
(vi)विस्मयादिबोधक वाक्य:-जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा आदि का भाव ज्ञात हो उन्हें विस्मयादिबोधक वाक्य कहते है।
जैसे- वाह! तुम आ गये। हाय! मैं लूट गया।
जैसे- वाह! तुम आ गये। हाय! मैं लूट गया।
(vii) विधानवाचक वाक्य:- जिन वाक्यों में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते है।
जैसे- मैंने दूध पिया। वर्षा हो रही है। राम पढ़ रहा है।
जैसे- मैंने दूध पिया। वर्षा हो रही है। राम पढ़ रहा है।
(viii) इच्छावाचक वाक्य:- जिन वाक्यों से इच्छा, आशीष एवं शुभकामना आदि का ज्ञान होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते है।
जैसे- तुम्हारा कल्याण हो। आज तो मैं केवल फल खाऊँगा। भगवान तुम्हें लंबी उमर दे।
जैसे- तुम्हारा कल्याण हो। आज तो मैं केवल फल खाऊँगा। भगवान तुम्हें लंबी उमर दे।
वाक्य के अनिवार्य तत्व
वाक्य में निम्नलिखित छ तत्व अनिवार्य है-
(1) सार्थकता
(2) योग्यता
(3) आकांक्षा
(4) निकटता
(5) पदक्रम
(6) अन्वय
(1) सार्थकता
(2) योग्यता
(3) आकांक्षा
(4) निकटता
(5) पदक्रम
(6) अन्वय
(1) सार्थकता- वाक्य में सार्थक पदों का प्रयोग होना चाहिए निरर्थक शब्दों के प्रयोग से भावाभिव्यक्ति नहीं हो पाती है। बावजूद इसके कभी-कभी निरर्थक से लगनेवाले पद भी भाव अभिव्यक्ति करने के कारण वाक्यों का गठन कर बैठते है। जैसे-
तुम बहुत बक-बक कर रहे हो।
चुप भी रहोगे या नहीं ?
इस वाक्य में 'बक-बक' निरर्थक-सा लगता है; परन्तु अगले वाक्य से अर्थ समझ में आ जाता है कि क्या कहा जा रहा है।
तुम बहुत बक-बक कर रहे हो।
चुप भी रहोगे या नहीं ?
इस वाक्य में 'बक-बक' निरर्थक-सा लगता है; परन्तु अगले वाक्य से अर्थ समझ में आ जाता है कि क्या कहा जा रहा है।
(2) योग्यता - वाक्यों की पूर्णता के लिए उसके पदों, पात्रों, घटनाओं आदि का उनके अनुकूल ही होना चाहिए। अर्थातवाक्य लिखते या बोलते समय निम्नलिखित बातों पर निश्चित रूप से ध्यान देना चाहिए-
(a) पद प्रकृति-विरुद्ध नहीं हो : हर एक पद की अपनी प्रकृति (स्वभाव/धर्म) होती है। यदि कोई कहे मैं आग खाता हूँ। हाथी ने दौड़ में घोड़े को पछाड़ दिया।
उक्त वाक्यों में पदों की प्रकृतिगत योग्यता की कमी है। आग खायी नहीं जाती। हाथी घोड़े से तेज नहीं दौड़ सकता।
इसी जगह पर यदि कहा जाय-
मैं आम खाता हूँ।
घोड़े ने दौड़ में हाथी को पछाड़ दिया।
तो दोनों वाक्यों में योग्यता आ जाती है।
मैं आम खाता हूँ।
घोड़े ने दौड़ में हाथी को पछाड़ दिया।
तो दोनों वाक्यों में योग्यता आ जाती है।
(b) बात-समाज, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि विरुद्ध न हो : वाक्य की बातें समाज, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि सम्मत होनी चाहिए; ऐसा नहीं कि जो बात हम कह रहे हैं, वह इतिहास आदि विरुद्ध है। जैसे-
दानवीर कर्ण द्वारका के राजा थे।
महाभारत 25 दिन तक चला।
भारत के उत्तर में श्रीलंका है।
ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के परमाणु परस्पर मिलकर कार्बनडाई ऑक्साइड बनाते हैं।
दानवीर कर्ण द्वारका के राजा थे।
महाभारत 25 दिन तक चला।
भारत के उत्तर में श्रीलंका है।
ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के परमाणु परस्पर मिलकर कार्बनडाई ऑक्साइड बनाते हैं।
(3) आकांक्षा- आकांक्षा का अर्थ है- इच्छा। एक पद को सुनने के बाद दूसरे पद को जानने की इच्छा ही 'आकांक्षा' है। यदि वाक्य में आकांक्षा शेष रहा जाती है तो उसे अधूरा वाक्य माना जाता है; क्योंकि उससे अर्थ पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं हो पाता है। जैसे- यदि कहा जाय।
'खाता है' तो स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि क्या कहा जा रहा है- किसी के भोजन करने की बात कही जा रही है या Bank के खाते के बारे में ?
(4) निकटता- बोलते तथा लिखते समय वाक्य के शब्दों में परस्पर निकटता का होना बहुत आवश्यक है, रूक-रूक कर बोले या लिखे गए शब्द वाक्य नहीं बनाते। अतः वाक्य के पद निरंतर प्रवाह में पास-पास बोले या लिखे जाने चाहिए।
जैसे- गंगा.................... पश्चिम
से ........................................ पूरब
की ओर बहती है।
से ........................................ पूरब
की ओर बहती है।
गंगा पश्चिम से पूरब की ओर बहती है।
घेरे के अन्दर पदों के बीच की दूरी और समयान्तराल असमान होने के कारण वे अर्थ-ग्रहण खो देते हैं; जबकि नीचे उन्हीं पदों को समान दूरी और प्रवाह में रखने के कारण वे पूर्ण अर्थ दे रहे हैं।
अतएव, वाक्य को स्वाभाविक एवं आवश्यक बलाघात आदि के साथ बोलना पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक है।
अतएव, वाक्य को स्वाभाविक एवं आवश्यक बलाघात आदि के साथ बोलना पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक है।
(5) पदक्रम - वाक्य में पदों का एक निश्चित क्रम होना चाहिए। 'सुहावनी है रात होती चाँदनी' इसमें पदों का क्रम व्यवस्थित न होने से इसे वाक्य नहीं मानेंगे। इसे इस प्रकार होना चाहिए- 'चाँदनी रात सुहावनी होती है'।
(6) अन्वय - अन्वय का अर्थ है- मेल। वाक्य में लिंग, वचन, पुरुष, काल, कारक आदि का क्रिया के साथ ठीक-ठीक मेल होना चाहिए; जैसे- 'बालक और बालिकाएँ गई', इसमें कर्ता क्रिया अन्वय ठीक नहीं है। अतः शुद्ध वाक्य होगा 'बालक और बालिकाएँ गए'।
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