📘 संधि विचार — हिंदी व्याकरण नोट्स
शब्द विचार के बाद अगला भाग | परीक्षा उपयोगी संक्षिप्त नोट्स (REET, CTET, TGT, PGT आदि)
1️⃣ संधि की परिभाषा
जब दो शब्द या वर्ण मिलकर किसी नए शब्द का निर्माण करते हैं, तो उस मेल को संधि कहते हैं।
उदाहरण: राम + ईश्वर = रामेश्वर, गुरु + उदय = गुरुदय
2️⃣ संधि के मुख्य प्रकार
संधि तीन प्रकार की होती है:
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
3️⃣ स्वर संधि
जब दो स्वरों के मिलने पर उनके रूप में परिवर्तन होता है, तो उसे स्वर संधि कहते हैं।
उदाहरण: दे + इन्द्र = देन्द्र, प्र + एक = प्रैक
स्वर संधि के प्रकार:
- दीर्घ संधि: समान स्वरों के मिलने पर दीर्घ स्वर बनता है।
उदाहरण: म + अन्न = मान्न → मान। - गुण संधि: अ/आ के बाद इ/ई या उ/ऊ आने पर गुण स्वर (ए, ओ) बनता है।
उदाहरण: प्र + इति = प्रेति → प्रीति - वृद्धि संधि: अ/आ के बाद ए/ऐ या ओ/औ आने पर वृद्धि स्वर बनता है।
उदाहरण: प्र + ऐश = प्रैश
4️⃣ व्यंजन संधि
जब दो व्यंजनों के मिलने से उनका रूप बदल जाए, तो उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
उदाहरण: तत् + जन = तज्जन, योग + रस = योगरस
मुख्य नियम:
- समान व्यंजन के मिलने पर द्वित्व व्यंजन बन जाता है।
- कुछ व्यंजनों के मिलने पर पहले का व्यंजन बदलकर दूसरा व्यंजन हो जाता है।
5️⃣ विसर्ग संधि
जब किसी शब्द के अंत में ‘ः’ (विसर्ग) आता है और उसके बाद स्वर या व्यंजन आता है, तो विसर्ग के स्थान पर परिवर्तन होता है, इसे विसर्ग संधि कहते हैं।
उदाहरण: दुः + ख = दु:ख → दुख, सर्वः + ईश्वरः = सर्वेश्वरः
मुख्य नियम:
- विसर्ग के बाद ‘क’ या ‘ख’ आने पर विसर्ग ‘ख्’ में बदल जाता है।
- विसर्ग के बाद ‘स’ आने पर विसर्ग ‘स्’ में बदल जाता है।
6️⃣ संधि विच्छेद
संधि विच्छेद का अर्थ है — जुड़े हुए शब्द को उसके मूल रूपों में तोड़ना।
उदाहरण:
संयुक्त शब्द | संधि विच्छेद |
---|---|
राजेश्वर | राज + ईश्वर |
महेंद्र | महा + इन्द्र |
दुःख | दुः + ख |
सच्चिदानंद | सत् + चित् + आनंद |
7️⃣ संधि विचार का महत्व
- भाषा में शब्दों को सही रूप से जोड़ने की प्रक्रिया समझने में मदद करता है।
- संस्कृत और हिंदी शब्दों की संरचना स्पष्ट करता है।
- परीक्षाओं में संधि विच्छेद से जुड़े प्रश्न बार-बार पूछे जाते हैं।
👉 अगला भाग: समास विचार (जल्द आने वाला)
© हिंदी व्याकरण नोट्स | शिक्षण एवं प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु