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Showing posts from March, 2020

वाक्य-विग्रह हिंदी व्याकरण नोट्स Vakya vigrah hindi vyakaran complete notes

वाक्य विचार Hindi vyakaran Vakya vichar hindi vyakaran complet notes Vakyavichar(Syntax) कर्म और क्रिया का मेल (i) यदि वाक्य में कर्ता 'ने' विभक्ति से युक्त हो और कर्म की 'को' विभक्ति न हो, तो उसकी क्रिया कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होगी। जैसे- आशा ने पुस्तक पढ़ी। हमने लड़ाई जीती। उसने गाली दी। मैंने रूपये दिये। तुमने क्षमा माँगी। (ii) यदि कर्ता और कर्म दोनों विभक्तिचिह्नों से युक्त हों, तो क्रिया सदा एकवचन पुंलिंग और अन्यपुरुष में होगी। जैसे- मैंने कृष्ण को बुलाया। तुमने उसे देखा। स्त्रियों ने पुरुषों को ध्यान से देखा। (iii) यदि कर्ता 'को' प्रत्यय से युक्त हो और कर्म के स्थान पर कोई क्रियार्थक संज्ञा आए तो क्रिया सदा पुंलिंग, एकवचन और अन्यपुरुष में होगी। जैसे- तुम्हें (तुमको) पुस्तक पढ़ना नहीं आता। अलका को रसोई बनाना नहीं आता। उसे (उसको) समझकर बात करना नहीं आता। (iv) यदि एक ही लिंग-वचन के अनेक प्राणिवाचक विभक्तिरहित कर्म एक साथ आएँ, तो क्रिया उसी लिंग में बहुवचन में होगी। जैसे- श्याम ने बैल और घोड़ा मोल लिए। तुमने गाय और भैंस मोल ली। (v) यदि एक ही लि...

वाक्य-विग्रह (Sentence Analysis) vakya vigrah - hindi vyakaran complete notes

वाक्य-विग्रह (Analysis) वाक्य-विग्रह (Analysis)- वाक्य के विभिन्न अंगों को अलग-अलग किये जाने की प्रक्रिया को वाक्य-विग्रह कहते हैं। इसे 'वाक्य-विभाजन' या 'वाक्य-विश्लेषण' भी कहा जाता है। सरल वाक्य का विग्रह करने पर एक उद्देश्य और एक विद्येय बनते है। संयुक्त वाक्य में से योजक को हटाने पर दो स्वतंत्र उपवाक्य (यानी दो सरल वाक्य) बनते हैं। मिश्र वाक्य में से योजक को हटाने पर दो अपूर्ण उपवाक्य बनते है। सरल वाक्य= 1 उद्देश्य + 1 विद्येय संयुक्त वाक्य= सरल वाक्य + सरल वाक्य मिश्र वाक्य= प्रधान उपवाक्य + आश्रित उपवाक्य वाक्य परिवर्तन किसी वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में, बिना अर्थ बदले, परिवर्तित करने की प्रकिया को 'वाक्य परिवर्तन' कहते हैं। अर्थ में परिवर्तन लाए बिना वाक्य की रचना में परिवर्तन किया जा सकता है। सरल वाक्यों से संयुक्त अथवा मिश्र वाक्य बनाए जा सकते हैं। इसी प्रकार संयुक्त अथवा मिश्र वाक्यों को सरल वाक्यों में बदला जा सकता है। ध्यान रखिए कि इस परिवर्तन के कारण कुछ शब्द, योजक चिह्न या संबंधबोधक लगाने या हटाने पड़ सकते हैं। वाक्य परिवर्तन करते समय एक...

वाक्य विचार की परिभाषा,प्रकार,उद्देश्य,विधेय Vakya Vichar - Hindi Vyakaran complete notes

वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय (Vakya Vichar-Hindi Vyakaran complete notes) वाक्य विचार(Syntax) की परिभाषा वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, 'वाक्य' कहलाता हैै। दूसरे शब्दों में-  विचार को पूर्णता से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को 'वाक्य' कहते हैं। सरल शब्दों में-  सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो, वाक्य कहलाता है। जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही हैैै। वाक्य के भाग वाक्य के दो भेद होते है- (1)उद्देश्य (Subject) (2)विद्येय (Predicate) (1)उद्देश्य (Subject): - वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाये उसे उद्देश्य कहते हैं। सरल शब्दों में-  जिसके बारे में कुछ बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है। इस वाक्य में पूनम और सचिन के विषय में बताया गया है। अतः ये उद्देश्य है। इसके अंतर्गत कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है जैसे- 'परिश्रम करने वाला व्यक्ति' सदा सफल होता है। इस वाक्य में कर्ता (व्यक्ति) का विस्तार 'परिश्रम करने वाला' है। उद्...

हिंदी भाषा में विदेशी शब्द - शब्द विचार Shabda Vichar - hindi vyakaran complete notes videshi shabda

हिंदी भाषा में विदेशी शब्द - शब्द विचार Shabda Vichar - hindi vyakaran complete notes videshi shabda (ई) अँगरेजी शब्द (अँगरेजी) तत्सम तद्भव (अँगरेजी) तत्सम तद्भव ऑफीसर अफसर थियेटर थेटर, ठेठर एंजिन इंजन टरपेण्टाइन तारपीन डॉक्टर डाक्टर माइल मील लैनटर्न लालटेन बॉटल बोतल स्लेट सिलेट कैप्टेन कप्तान हास्पिटल अस्पताल टिकट टिकस इनके अतिरिक्त, हिन्दी में अँगरेजी के कुछ तत्सम शब्द ज्यों-के-त्यों प्रयुक्त होते है। इनके उच्चारण में प्रायः कोई भेद नहीं रह गया है। जैसे- अपील, आर्डर, इंच, इण्टर, इयरिंग, एजेन्सी, कम्पनी, कमीशन, कमिश्रर, कैम्प, क्लास, क्वार्टर, क्रिकेट, काउन्सिल, गार्ड, गजट, जेल, चेयरमैन, ट्यूशन, डायरी, डिप्टी, डिस्ट्रिक्ट, बोर्ड, ड्राइवर, पेन्सिल, फाउण्टेन, पेन, नम्बर, नोटिस, नर्स, थर्मामीटर, दिसम्बर, पार्टी, प्लेट, पार्सल, पेट्रोल, पाउडर, प्रेस, फ्रेम, मीटिंग, कोर्ट, होल्डर, कॉलर इत्यादि। (उ) पुर्तगाली शब्द हिन्दी पुर्तगाली अलकतरा Alcatrao अनत्रास Annanas आलपीन Alfinete आलमारी Almario बाल्टी Balde किरानी...

शब्द विचार हिंदी व्याकरण देशज एवं विदेशी शब्द shabda vichar hindi vyakaran complete notes- desaj shabd

शब्द विचार हिंदी व्याकरण देसज शब्द shabda vichar hindi vyakaran complete notes- desaj shabd  देशज शब्द किसे कहते हैं ? देश + ज अर्थात देश में जन्मा। जो शब्द देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रचलित आम बोल-चाल की भाषा से हिंदी में आ गए हैं, वे देशज शब्द कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में- जो शब्द देश की विभिन्न भाषाओं से हिन्दी में अपना लिये गये है, उन्हें देशज शब्द कहते है। सरल शब्दों में- देश की बोलचाल में पाये जानेवाले शब्द 'देशज शब्द' कहलाते हैं। जैसे- चिड़िया, कटरा, कटोरा, खिरकी, जूता, खिचड़ी, पगड़ी, लोटा, डिबिया, तेंदुआ, कटरा, अण्टा, ठेठ, ठुमरी, खखरा, चसक, फुनगी, डोंगा आदि। देशज वे शब्द है, जिनकी व्युत्पत्ति का पता नही चलता। ये अपने ही देश में बोलचाल से बने है, इसलिए इन्हे देशज कहते है। हेमचन्द्र ने उन शब्दों को 'देशी' कहा है, जिनकी व्युत्पत्ति किसी संस्कृत धातु या व्याकरण के नियमों से नहीं हुई। विदेशी विद्वान जॉन बीम्स ने देशज शब्दों को मुख्यरूप से अनार्यस्त्रोत से सम्बद्ध माना हैं। विदेशी शब्द किसे कहते हैं  विदेशी भाषाओं से हिंदी भाषा में आये शब्दों को 'विदेशी...

हिंदी में वर्ण कितने प्रकार के होते हैं varn vichar complete notes hindi vyakaran swar vyanjan

प्रयत्न (हिंदी में वर्ण कितने प्रकार के होते हैं  varn vichar complete notes hindi vyakaran swar vyanjan) वर्णों का उच्चारण करते समय विभिन्न उच्चारण-अव्यय किस स्थिति और गति में हैं, इसका अध्ययन 'प्रयत्न' के अंतर्गत किया जाता है। प्रयत्न के आधार पर हिन्दी वर्णों का वर्गीकरण प्रायः निम्नलिखित रूप में किया गया है। ( अ ) स्वर:-  (i) जिह्रा का कौन-सा अंश उच्चारण में उठता है, इस आधार पर स्वरों के भेद निम्नलिखित हैं- अग्र : इ, ई, ए, ऐ मध्य : अ पश्च : आ, उ, ऊ, ओ, औ (ii) होठों की स्थिति गोलाकार होती है या नहीं, इस आधार पर स्वरों के भेद निम्नलिखित हैं- वृत्तमुखी : उ, ऊ, ओ, औ अवृत्तमुखी : अ, आ, इ, ई, ए, ऐ ( आ ) व्यंजन:-  प्रयत्न के आधार पर हिन्दी व्यंजनों का वर्गीकरण इस प्रकार है- (i) स्पर्शी : जिन व्यंजनों के उच्चारण में फेफ़ड़ों से आई वायु किसी अवयव को स्पर्श करके निकले, उन्हें स्पर्शी कहते हैं। क, ख, ग, घ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ स्पर्शी व्यंजन हैं। (ii) संघर्षी : जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु संघर्षपूर्वक निकले, उन्हे...