अव्ययीभाव समास हिंदी व्याकरण avyayeebhav samaas hindi vyakaran

अव्ययीभाव समास

अव्ययीभाव समास:- अव्ययीभाव का लक्षण है- जिसमे पूर्वपद की प्रधानता हो और सामासिक या समास पद अव्यय हो जाय, उसे अव्ययीभाव समास कहते है।
सरल शब्दो में- जिस समास का पहला पद (पूर्वपद) अव्यय तथा प्रधान हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते है।
इस समास में समूचा पद क्रियाविशेषण अव्यय हो जाता है। इसमें पहला पद उपसर्ग आदि जाति का अव्यय होता है और वही प्रधान होता है। जैसे- प्रतिदिन, यथासम्भव, यथाशक्ति, बेकाम, भरसक इत्यादि।
अव्ययीभाववाले पदों का विग्रह- ऐसे समस्तपदों को तोड़ने में, अर्थात उनका विग्रह करने में हिन्दी में बड़ी कठिनाई होती है, विशेषतः संस्कृत के समस्त पदों का विग्रह करने में हिन्दी में जिन समस्त पदों में द्विरुक्तिमात्र होती है, वहाँ विग्रह करने में केवल दोनों पदों को अलग कर दिया जाता है।

जैसे- प्रतिदिन- दिन-दिन
यथाविधि- विधि के अनुसार
यथाक्रम- क्रम के अनुसार
यथाशक्ति- शक्ति के अनुसार
बेखटके- बिना खटके के
बेखबर- बिना खबर के
रातोंरात- रात ही रात में
कानोंकान- कान ही कान में
भुखमरा- भूख से मरा हुआ
आजन्म- जन्म से लेकर

पूर्वपद-अव्यय + उत्तरपद = समस्त-पद विग्रह
प्रति + दिन = प्रतिदिन प्रत्येक दिन
+ जन्म = आजन्म जन्म से लेकर
यथा + संभव = यथासंभव जैसा संभव हो
अनु + रूप = अनुरूप रूप के योग्य
भर + पेट = भरपेट पेट भर के
हाथ + हाथ = हाथों-हाथ हाथ ही हाथ में

अव्ययीभाव समास की पहचान के लक्षण:- अव्ययीभाव समास को पहचानने के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनायी जा सकती हैं-

(i) यदि समस्तपद के आरंभ में भर, निर्, प्रति, यथा, बे, आ, ब, उप, यावत्, अधि, अनु आदि उपसर्ग/अव्यय हों। जैसे-
यथाशक्ति, प्रत्येक, उपकूल, निर्विवाद अनुरूप, आजीवन आदि।
(ii) यदि समस्तपद वाक्य में क्रियाविशेषण का काम करे। जैसे-
उसने भरपेट (क्रियाविशेषण) खाया (क्रिया)
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